jhaji

sanjayjhamastan.com filmmaker.

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Location: bombay, India

Son of a soldier, I was born in Sultanganj in Bhagalpur district, Bihar. My childhood days were spent in an earthy rural life. I was deeply inspired by the rich folk culture of Buddha’s own land, Bihar. Right from the beginning, I Grew up with real images of Melas, Ramleelas, Bahuripiyas, incredible rituals, strong religious milieu and the vibrant Mithila Art. Natural calamities like flood and drought gifted unforgettable images. Changing seasons of rural life on the bank of river Ganga matured into a sense of poetry and language. Wonder years passed chasing steam trains that passed through the fields of my native village. Listening to radio programs made for defense personals was my only window to the outside world. With such a treasure of inspirational experiences a story teller evolved. I am a practicing film maker in Bombay today.

Monday, February 19, 2007

STRINGS in patna film festival



पटना, जागरण ब्यूरो : फिल्म फेस्टिवल में स्टि्रंग दिखाये जाने के पूर्व फिल्म के निर्देशक संजय झा दर्शकों से मुखातिब हुए और कहा मेरे लिए यह भावुक क्षण है क्योंकि अपनों के बीच अपना काम दिखाने खड़ा हूं।
संवाद कार्यक्रम के तहत स्टि्रंग पर हुई चर्चा के क्रम में संजय ने कहा कि यह फिल्म स्वतंत्र सिनेमा के तौर पर बनी है। हम जैसे लोग जो अपनी विद्या को अपने ढंग से जीते हैं उनके लिए यह फिल्म है। उन्होंने कहा कि वह अपनी अगली फिल्म का निर्माण इसी कड़ी में करेंगे। यह फिल्म न तो किसी कामर्शियल दबाव में बनी है और न ही अपना दर्शन लोगों पर थोपने की कोशिश की गयी है। श्री झा ने कहा कि उनकी यह कोशिश है कि इंडिपेंडेंट सिनेमा जिंदा रहे। उन्हांेंने कहा कि इलाहाबाद जैसे शहर में उनकी फिल्म में मंत्र कविता का इस्तेमाल किए जाने पर जनहित याचिका दायर की गयी है जबकि ट्रायल में एक साधु तक नहीं पहुंचे। संजय ने कहा कि फिल्म में धर्म कहीं नहीं है बल्कि उन्होंने आस्था को दिखाया है जो व्यक्तिगत होती है। उन्होंने कहा कि इस फिल्म का निर्माण मेरी लिए चुनौती से भरा था। मैंने इस क्रम में बहुत ही ईमानदार कोशिश की है। चर्चा में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक सुनील कुमार सिन्हा, एनएन पांडेय व विनोद अनुपम शामिल थे।

Sunday, February 18, 2007

ओम डालर, ओम रुबल, ओम पाउंड.. और फिर नासिक का कुंभ

ओम डालर, ओम रुबल, ओम पाउंड.. और फिर नासिक का कुंभ
पटना, जागरण ब्यूरो : अंतिम चरण की ओर बढ़ रहे पटना फिल्म फेस्टिवल के पांचवें दिन संजय झा द्वारा निर्देशित व निर्मित स्टि्रंग आकर्षण का केंद्र रही। स्टि्रंग का देखना लोगों के लिए कई मायने में अद्भुत रहा। फिल्म निर्माता ने फिल्म को बाबा नागार्जुन को समर्पित किया है। बिना किसी सेट के बनी इस फिल्म में बाबा नागार्जुन की कविता मंत्र को गीत के स्वरूप में फिल्माना भी फिल्म का बड़ा पक्ष है। बाबा नागार्जुन की कविता ओम डालर, ओम रूबल, ओम पाउंड, ओम साउंड.. पर इलाहाबाद में जनहित याचिका भी दर्ज की जा चुकी है। लेकिन फिल्म में इस कविता को जिस परिपेक्ष्य में उपयोग किया गया है वह विवाद से परे है।
फिल्म में कई जगहों पर कामर्शियल सिनेमा का टच भी है। बारिश में फिल्माया गया गीत रिमझिम-रिमझिम बारिश.. को भी दर्शकों ने खूब सराहा। फिल्म का संगीत जुबीन गार्गट का है। फिल्म पटना के सिने प्रेमियों के बीच पहली बार दिखायी गयी थी। कहानी वारेन हेस्टिंग्स नाम के एक ब्रिटिश युवक के नासिक के कुंभ में आने से शुरू होती है। वारेन के दादा अंग्रेजी हुकूमत में भारत में थे और उनकी डायरी को पढ़कर वह नासिक चला आया है। नासिक में वह एक पुजारी के घर ठहरता है। पुजारी की बेटी कृष्णा से उसे प्रेम हो जाता है और एक दिन दोनों के बीच.। फिल्म में कुंभ के कई दृश्यों को काफी बेहतर अंदाज में फिल्माया गया है। नागा साधुओं के स्नान और शोभा यात्रा के दृश्य देखते ही बनते हैं। इसी तरह मेले में घूमने वाले बहुरुपिए को भी बड़े ही रोचक तरीके से दिखाया गया है। धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शहरों का यह संस्कार की छोटे-छोटे लोग किस अदा में विदेशी पर्यटकों से अंग्रेजी में बात करते हैं, भी फिल्म में बखूबी दिखा है। यूं कहे हनुमान जी भी अंग्रेजी बोलते हैं। फिल्म फेस्टिवल में सोमवार को तेलगू फिल्म शंकर भरनम भी चर्चा में रही। इसके अतिरिक्त विमल राय की बंदिनी भी दिखायी गयी।

http://epaper.jagran.com/main.aspx?edate=2/14/2007&editioncode=42&pageno=2#

Wednesday, February 07, 2007

aatma-manthan

STRINGS has been invited to PATNA FILM FESTIVAL.
For the first time my home state will view my film. I wish Allahabad High Court dismisses the P.I.L lodged by the sadhu's of Allahabad on the poem 'MANTRA' by Baba Nagarjun, and I am able to release the film through out the country.

Hope the holy dip in the river Ganga in Allahabad-kumbh recently has strengthened the Sadhu's spritual quests to review the understanding of the poem .

the journey continues...